1. मुनाफ़िक़ का इस्लाम से बाहर चला जाना ही मुनासिब है. 2. छोड़ बाहर चला जाना भी तो ठीक नहीं होगा और उसके सामने 3. इन सभी का बिहार में हाशिये से भी बाहर चला जाना शोचनीय है। 4. यदि अधिकारी अवांछित माहौल के पक्ष में ही तर्क गढ़ने लगे, तो मुझे चुपचाप बाहर चला जाना चाहिए । ” 5. टेन्शन में तो थीं ही, बिना बताये धर के बाहर चला जाना और रात एक बजे तक न लौटना गुस्सा स्वभाविक है। 6. टेन्शन में तो थीं ही, बिना बताये धर के बाहर चला जाना और रात एक बजे तक न लौटना गुस्सा स्वभाविक है। 7. टेन्शन में तो थीं ही, बिना बताये धर के बाहर चला जाना और रात एक बजे तक न लौटना गुस्सा स्वभाविक है। 8. बाह्य प्राण का प्राणायाम शरीर द्वारा आकर्षण और फिर उसका कर्मेन्द्रियों के मार्ग से बाहर चला जाना ही प्राण की अर्न्तमुखी गति अथवा प्रवाह कहलाती है। 9. पहले का शहर से बाहर चला जाना , फिर लड़के लड़के में दोस्ती कशमकश, दोस्ती मुहब्बत प्रेम दोस्ती! कशमकश! वाह! वह इस समूचे ड्रामा की सबसे जीवंत पात्रा थी। 10. उसकी उपस्थिति में मैं घर में क्या करूँगा? उसे घर में अकेली छोड़ बाहर चला जाना भी तो ठीक नहीं होगा और उसके सामने बैठे रहना अपने से शायद न हो सके।